जैसा की हम जानते है कि आज के समय में इंग्लिश सीखना और बोलना बहुत जरूरी हो गया है, क्योंकि जहां देखों वहां पर इंग्लिश बोलने वालों को ज्यादा महत्व दिया जाता है। हर कोई इंग्लिश बोलना सीखना चाहता है लेकिन उन्हें पता नहीं होता कि इंग्लिश बोलना कैसे सीखे। आज के समय मे इंग्लिश का काफी महत्व है फिर चाहे नौकरी पाना हो या किसी भी बड़ी कंपनी में जॉब करना हो, हर बिज़नस और प्रोफेशन के लिए भी अच्छी इंग्लिश की आवश्यकता होती है। आज के समय में जो अच्छी इंग्लिश जानता है उसे ही सम्मान दिया जाता है।
इंग्लिश स्पीकिंग सीखने के लिए आसान तरीके हैं जिनको फॉलो करके आसानी से इंग्लिश सीख सकते हैं ।
सबसे गलत तरीका-
याद करिए कि आपने हिंदी बोलना कैसे सीखा था ? क्या आपने हिंदी सीखनें की शुरुआत संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण सीख कर की थी ? नहीं ना ? तो हम इंग्लिश स्पीकिंग को tense,active-passive या direct-indirect को पढ़कर कैसे सीख सकते है | यही गलती हम बचपन से करते आये है और आज भी कर रहे है |
किसी भी भाषा को सीखने के लिए चार गुणों का होना आवश्यक है –
- रीडिंग
- राइटिंग
- स्पीकिंग
- लिसनिंग
अब ज़रा सोचिये की एक छोटा बच्चा इनमे से कौन सा तरीका सबसे पहले अपनाता है और अपनी मातृभाषा को बोलना सीख जाता है | निसंदेह वह सबसे पहले लिसनिंग करता है, फिर वह स्पीकिंग करता है, फिर वह रीडिंग करने लगता है और अंत में वह राइटिंग करता है | अब आप खुद सोचिये कि क्या कोई स्कूल या कोचिंग सेंटर आपको ग्रामर या लिखा-लिखा कर इंग्लिश बोलना सीखा सकता है ? नहीं ना !! तो इसका मतलब हमारे इंग्लिश सीखने का तरीका ही गलत है | हमारे स्कूलों में सबसे पहले एक बच्चे को राइटिंग,फिर रीडिंग,फिर कभी कभी स्पीकिंग और ना के बराबर लिसनिंग मिलती है जिसके कारण उसका इंग्लिश सीख पाना असंभव सा हो जाता है | इसीलिए हमें अगर इंग्लिश सीखनी है तो हमें एक छोटे बच्चे के समान ही सीखना होगा |
इंग्लिश स्पीकिंग सीखने के आसान तरीके
- हमेशा इंग्लिश बोलने वालों को सुनना चाहिए और उनको देखकर हमे उनका अनुसरण करना चाहिए ।
- अधिकतर ये देखा जाता हैं की लोग इंग्लिश को पहले हिंदी मे ट्रांसलेट करते हैं फिर उसे सीखते हैं । ये तरीका थोड़ा गलत हैं हमे इंग्लिश टू इंग्लिश हो कंटेन्ट को सीखना चाहिए ।
- सबसे पहले शुरुआत मे हमे छोटे छोटे वाक्य सीखने चाहिए । ताकि आसानी से उन्हे याद रख सके । लंबे वाक्य को याद रखना थोड़ा कठिन होता हैं इसमे थोड़ी प्रेक्टिस की जरूरत होती हैं । इसलिए धीरे धीरे बड़े वाक्यो की तरफ बढ़े ।
- शुरू से ही अधिकतर लोग इंग्लिश को कठिन विषय मानते हैं और मन मे इसके प्रति एक भय बना रहता हैं । सबसे पहले इस डर को मन से निकाल दे की हमे इंग्लिश नहीं आती या मैं इसे नहीं सीख सकता । आज अगर देखा जाये तो ऐसे कई डेली रूटीन के शब्द है जिनका हिन्दी शब्द भी हमे नहीं पता जिन्हे हम रोज़मर्रा के जीवन मे उपयोग करते हैं जैसे – शर्ट, रबड़,पेन,कॉफी, क्रिकेट ।
- जो भी सोचे इंग्लिश मे सोचने का प्रयास करे । इसके लिए इंग्लिश की वोकेबुलरी को सुधारना होगा । रोज 5 वर्ड डेली रूटीन के जैसे – सब्जियों के नाम , फलों के नाम , किचन के सामान , महीने , सप्ताह के दिन, औज़ार आदि लर्न करें । इन्हे रूटीन लाइफ मे प्रयोग करें ।
- स्पीकिंग इंग्लिश मे ग्रामर को इंकल्यूड ना करे । फर्राटे दार इंग्लिश बोलने वाले व्यक्ति भी ग्रामेटिकल मिस्टेक करते हैं । अतः इंग्लिश सीखने के लिए ग्रामेटिकल मिस्टेक को इग्नोर करें ।
- इंग्लिश टीवी शो ,मूवीज , न्यूज़ आदि देखें । किस वर्ड को कैसे बोलते हैं उसकी जानकारी इससे प्राप्त होती हैं ।
- न्यूज़ पेपर बोल बोल कर पढ़ें । इससे रीडिंग की प्रेक्टिस होगी साथ ही उच्चारण भी प्रोपर होगा ।
- इंग्लिश स्टोरीज़ पढे । उन्हे समझे इससे भी इंग्लिश पढ़ने और सीखने की अच्छी प्रेक्टिस कर सकते हैं ।
- इंग्लिश के मुहावरे याद करें । इससे वाक्य सीखने मे मदद मिलती हैं ।
- हर चीज कोन्फ़िडेंस के साथ सीखे और उसे रूटीन मे प्रयोग करके बोलने का प्रयास करें ।
- मिरर के सामने बोल कर सीखे हुए कन्वर्सेशन की प्रेक्टिस करे इससे कितना हम सीख पाये हैं यह पता चलेगा | हमारे सामने कोई और हमारे साथ हैं इसका आभास मिरर कराता रहेगा ।
- नियमित प्रेक्टिस करते रहे ताकि इसे लॉन्ग टर्म ये याद रह सके ।
- इंग्लिश बोलने से जो हिचकिचाहट होती हैं उसे दूर करें एवं पूर्ण आत्मविश्वास के साथ इसे सीखे ।
- अपने द्वारा बोले गए वाक्य , शब्दों या वार्तालाप आदि को मोबाइल मे रिकॉर्ड करे और उसे सुने कोई सुधार हो तो उसे करे और पुनः प्रयास करें ।