सभी व्यक्ति पारिवारिक जीवन खुशियों से बिताना चाहते हैं । सभी व्यक्ति ये चाहते है की कभी भी किसी प्रकार का दुख उन्हे ना सताये । लेकिन ऐसा कभी नहीं हो सकता की कभी कोई दुख ना आए । जिस प्रकार हर रात के बाद सवेरा, अंधेरे के बाद उजाला होता हैं उसी प्रकार दुख के बाद सुख हमेशा आता हैं । लेकिन अधिकतर व्यक्ति अपने दुख को लेकर कुछ ज्यादा दुखी होते हैं और कभी इससे उबर नहीं पाते हैं । यदि इंसान दुख का सामना डट कर नहीं करेगा तो दुख कटेगा कैसे । जब कभी दुख के घेरे मे इंसान आता हैं तो इसके लिए वो किस्मत को दोष देता हैं । हम कभी भी दुख का परमानेंट हल तो नहीं निकाल सकते है लेकिन अपने जीवन को परिवार के साथ खुशी के साथ जरूर बिता सकते हैं । हमे हर पल खुशनुमा माहौल बनाए रखने के लिए स्वयं मे कुछ परिवर्तन करने होंगे तभी परिवार मे भी खुशी का माहौल बना पाएंगे –
- जीवन का हर पल चाहे वो खुशी का हो या दुख का उसे हमे जीना चाहिए । हमेशा यही थिंकिंग होनी चाहिये की सुख और दुख हर इंसान के जीवन मे आते हैं अच्छा समय जरूर आयेगा ।
- व्यर्थ की चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि चिंता चिता समान होती हैं । हमेशा चिंता नहीं चिंतन करना चाहिए । किसी भी विषय के संबंध मे चिंता से उस समस्या का हल नहीं निकलता हैं ।
- हमेशा खुश रहे और दूसरों को भी खुशी के पल प्रदान करें ।
- हमेशा मुसीबत मे असहाय व्यक्तियों की सहायता करने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए । मदद करने से जो खुशी मिलती हैं वो किसी अन्य कार्य से नहीं मिल सकती हैं ।
- हमेशा हँसे और दूसरों को भी हँसाए । हंसने से मन और स्वास्थ्य दोनों दुरुस्त रहते हैं ।
- खुश रहने के लिए नित्य शारीरिक एवं मानसिक व्यायाम करने चाहिए । इससे पूरा दिन प्रफुल्लित रहता हैं ।
- सभी प्राणियों से सदा प्रेम करें । इससे एक विशेष खुशी की अनुभूति होती हैं ।
- खुश रहने के लिए सदा सकारात्मक ऊर्जा से भरे रहे ।
- परिवार के साथ अच्छी प्राकृतिक जगहों पर घूमने का प्लान बनाए ।
- सदैव क्षमा भाव रखे ताकि परिवार के लोग ग़लती होने पर भी खुल के आपके सामने आ सके और अपनी ग़लती को स्वीकार कर सके । कई बार ऐसा होता हैं की आपके दार की वजह से परिवार के सदस्य अपनी ग़लती को छुपा देते हैं । झूठ का सहारा लेते हैं और भरी ग़लती हो जाये तो उसकी भरपाई अपनी जान से करने मे भी नहीं चुकते हैं ।
- सर्वदा खुश रहने के लिए वर्तमान मे जीएं । जो बीत गया उसे याद करके वर्तमान को खराब ना करें और न ही भविष्य की चिंता करे । हमेशा याद रखे –“जो हुआ वो अच्छा हुआ और जो होगा वो भी अच्छा ही होगा ॥“
- ज्यादा से ज्यादा समय परिवार के साथ व्यतीत करें क्यों की जो खुशी अपनों से मिल सकती हैं वो किन्ही और से नहीं मिलती ।