एक प्रसिद्ध डायलाग है – कोई धंधा छोटा या बड़ा नहीं होता और धंधे से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। ठीक यही किया गौतम अडानी ने। समय पर जो धंधा मिला उसे पूरे मन किया और आगे बढ़ते रहे। जमीन पर पड़ा कोई असफल व्यक्ति कभी नजर नहीं आता, हर कोई उगते सूरज को सलाम करता है। और कहीं वह दोपहर के सूरज की तरह तप रहा हो, सबकी आंखें चौंधिया देता है। ऐसी ही एक कामयाब शख्सियत का नाम है Gautam Adani. बात 1978 की है. कॉलेज का एक नौजवान पढ़ाई के दौरान बड़े ख़्वाब देख रहा था. एक दिन उसने अचानक कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और वो नौजवान एशिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में शुमार हो गया |ये कहानी है गौतम अदानी की जिनकी कुल संपत्ति 8 फ़रवरी को 88.5 अरब डॉलर तक पहुंच गई थी.
8 फ़रवरी को ब्लूमबर्ग बिलियनेर्स इंडेक्स की सूची में गौतम अडानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के अध्यक्ष मुकेश अंबानी को पछाड़ दिया था जिनकी कुल संपत्ति उस दिन 87.9 अरब डॉलर थी. हालांकि इसके एक दिन बाद ही अंबानी फिर आगे निकल गए | घर के राशन से लेकर कोयले की खदान तक, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह से लेकर बिजली बनाने तक ऐसे दर्जनों कारोबार हैं जहां गौतम अडानी की बड़ी दखल है. गौतम अडानी की इस कामयाबी का राज़ क्या है? क्या है उनकी ज़िंदगी और व्यापार का सफ़रनामा?
कौन है गौतम अडानी ?
गौतम अडानी इनका जन्म गुजरात के अहमदबाद में 24 जून 1962 को हुआ था। अगर इनके परिवार की बात कर तो यह छह भाई-बहन थे। बहुत कम लोगो को यह पता होगा कि Adani का परिवार पहले आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हुआ करता था। अपेक्षाकृत रूप से गरीब होने के कारण इनका परिवार अहमदाबाद के पोल इलाके के शेठ चॉल रहता था।बात सन् 1980 के दशक की है। उस समय अडानी के पास खुद का स्कूटर भी नही हुआ करता था, बल्कि वह अपने बचपन के साथी मलय महादेविया के स्कूटर पर पीछे बैठे लोगों को दिख जाया करते थे। इस दोस्ती की एक खास वजह Adani कमजोर अंग्रेजी भी थी क्योंकि महादेविया की इंग्लिश अच्छी थी। बाद में महादेविया उनके बिजनेस पार्टनर हो गए। वर्तमान में Adani भारत के उन गिने-चुने कामयाब उद्योगपतियों में एक हैं।
परिवार के खर्च पूरा करने के लिए नौकरी किया:
हर यूथ के तरह अडानी भी अपनी स्कूली पढ़ाई करने के बाद ग्रेजुएशन की पढ़ाई के गुजरात यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिए लेकिन उनका कॉलेज की इस शिक्षा में बिलकुल मन नहीं लगा जो आगे चलकर नौकरी करना सिखाती है | अब गौतम कॉलेज से मुंह मोड़कर पैसा कमाने के चुनौतीपूर्ण सफर पर निकल पड़े। अपना शहर छोड़कर मुंबई चले गए और वहां एक डॉयमंड कंपनी में बड़ी मामूली सी पगार पर नौकरी करने लगे। लेकिन, Adani मुंबई केवल नौकरी करने के लिए नही आये थे। वह आये थे व्यापार करने। उन्होंने कुछ समय बाद नौकरी छोड़ दिया।
बिजनेस करने के लिए नौकरी छोड़ दी :
अडानी ने एक सपना देखा था, वह सपना था – अपने परिवार को गरीबी से निकालने का। यह नौकरी से संभव नही हो सकता था, क्योंकि एक बधी-बधाई सैलरी में परिवार के 8 लोगो का खर्च निकालना मुश्किल हो रहा था। अडानी ने नौकरी छोड़ दिया। फिर शुरु हुआ फर्श से अर्श पर पहुँचने के लिए कड़ी मेहनत का दौर।
महज 20 साल उम्र में कर दिया अपने बिजनेस की शुरुवात:
मीडिया में प्रकाशित रिपोर्टों के अनुसार गौतम अदानी ने महज 20 साल की उम्र में 1978 में अपनी कॉलेज की पढ़ाई अधूरी छोड़ मुंबई के हीरा बाज़ार में हाथ आज़माया | गौतम ने महेंद्र ब्रदर्स के लिए हीरा सॉर्टर के रूप में काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने वहां लगभग 2-3 वर्षों तक काम किया और बाद में उन्होंने मुंबई के झवेरी बाजार में अपनी खुद की डायमंड ब्रोकरेज फर्म की स्थापना की। लेकिन उनकी क़िस्मत चमकनी शुरू हुई 1981 से जब उनके बड़े भाई ने उन्हें अहमदाबाद बुलाया | भाई ने सामानों को लपेटने वाली प्लास्टिक की एक कंपनी ख़रीदी थी मगर वो चल नहीं पा रही थी. उस कंपनी को जो कच्चा माल चाहिए था वो पर्याप्त नहीं होता था. इसे एक अवसर में बदलते हुए अडानी ने कांडला पोर्ट पर प्लास्टिक ग्रैनुएल्स का आयात शुरू किया और 1988 में अडानी एंटरप्राइज़ लिमिटेड बनी जिसने धातु, कृषि उत्पाद और कपड़ा जैसे उत्पादों की कमोडिटी ट्रेडिंग शुरू की |
1988 में अडानी ग्रुप की शुरुआत:
पीवीसी इंपोर्ट में ग्रोथ होती रही और 1988 में अडानी ग्रुप पावर और एग्री कमोडिटी में आधिकारिक तौर पर स्थापित हो गया। 1991 में हुए आर्थिक सुधारों की बदौलत अडानी का बिजनस जल्द ही डायवर्सिफाई हुआ और वह एक मल्टीनेशनल बिजनेसमैन बन गए। 1995 गौतम अडानी के लिए बेहद सफल साबित हुआ, जब उनकी कंपनी को मुंद्रा पोर्ट के संचालन का कॉन्ट्रैक्ट मिला। गौतम अडानी ने अपने कारोबार में डायवर्सिफिकेशन को जारी रखा और 1996 में अडानी पावर लिमिटेड अस्तित्व में आई। 10 साल बाद कंपनी पावर जनरेशन बिजनस में भी उतरी।
मुंद्रा पोर्ट कॉन्ट्रैक्ट का मिलना:
साल 1995 में अडानी समूह ने मुंदरा बंदरगाह का ऑपरेशन शुरू किया | क़रीब 8 हजार हेक्टेयर में फैला अडानी का मुंदरा पोर्ट आज भारत का सबसे बड़ा निजी बंदरगाह है |मुँदरा पोर्ट से पूरे भारत के लगभग एक-चौथाई माल की आवाजाही होती है| इसमें कोयले से चलने वाला विशाल बिजली स्टेशन और विशेष आर्थिक क्षेत्र भी है |
राशन के सामानों का कारोबार
जनवरी 1999 में अडानी ग्रुप ने विल एग्री बिजनेस ग्रुप विल्मर के साथ हाथ मिलाकर खाद्य तेल के बिज़नेस में क़दम रखा | आज देश में सबसे ज्यादा बिकने वाला फ़ॉर्च्यून खाद्य तेल अदानी विलमर कंपनी ही बनाती है| फ़ॉर्च्यून तेल के अलावा अडानी ग्रुप उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्र में आटा, चावल, दालें, चीनी जैसे दर्जनों उत्पाद बनाता है|
2005 में अडानी ग्रुप ने भारतीय खाद्य निगम के साथ मिलकर देश में बड़े-बड़े साइलोज़ बनाने की शुरुआत की. साइलोज़ में बड़े पैमाने पर अनाज का भंडारण किया जाता है | शुरू में 20 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर अडानी ग्रुप ने देश में अलग-अलग राज्यों में साइलोज़ का निर्माण किया| इनकी कनेक्टिविटी के लिए अडानी ग्रुप ने निजी रेल लाइनों को भी बनाया ताकि साइलो यूनिट से पूरे भारत में वितरण केंद्रों तक अनाज की आवाजाही को आसान बनाया जा सके|
आज की तारीख़ में अदानी एग्रो लोजिस्टिक लिमिटेड देश में भारतीय खाद्य निगम और मध्य प्रदेश सरकार के अनाज को अपने साइलोज़ में रखता है| इसमें भारतीय खाद्य निगम का 5.75 लाख मीट्रिक टन और मध्य प्रदेश सरकार का तीन लाख मीट्रिक टन अनाज शामिल है|
कोयला खदान
फ़ॉर्च्यून इंडिया मैगज़ीन के मुताबिक साल 2010 में अदानी ने ऑस्ट्रेलिया की लिंक एनर्जी से 12,147 करोड़ में कोयला खदान ख़रीदी थी| गेली बेस्ट क्वीन आइलैंड में मौजूद इस खदान में 7.8 बिलियन टन के खनिज भंडार हैं जो हर साल 60 मिलियन टन कोयला पैदा कर सकती है|
इंडोनेशिया में तेल, गैस और कोयला जैसे प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं, लेकिन आधारभूत सुविधाओं के अभाव में इन संसाधनों का पर्याप्त लाभ उठाना संभव नहीं था| 2010 में अडानी ग्रुप ने इंडोनेशिया के दक्षिणी सुमात्रा से कोयले की ढुलाई के लिए डेढ़ अरब डॉलर की पूंजी निवेश करने की घोषणा की थी | इसके लिए दक्षिणी सुमात्रा में बनने वाली रेल परियोजना के लिए वहाँ की प्रांतीय सरकार के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे|
कारोबार का विस्तार
अडानी साम्राज्य का कारोबार 2002 में 76.5 करोड़ डॉलर था जो 2014 में बढ़कर 10 अरब डॉलर हो गया था |
साल 2015 के बाद अडानी समूह ने सेना को रक्षा उपकरणों की आपूर्ति का काम भी शुरू किया | कुछ समय बाद प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में बिज़नेस को बढ़ाया| 2017 में सोलर पीवी पैनल बनाना शुरू किया |
2019 में अडानी समूह ने हवाई अड्डे के क्षेत्र में प्रवेश किया. अहमदाबाद, लखनऊ, मंगलुरु, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम के छह हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण और संचालन की ज़िम्मेदारी अडानी समूह के पास है | अडानी समूह 50 सालों तक सभी छह हवाई अड्डों का संचालन, प्रबंधन और विकास का काम संभालेगा.
गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी समूह के पास मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट अथॉरिटी मे 74 प्रतिशत की हिस्सेदारी है | मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट दिल्ली के बाद देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट है|
विश्व की सबसे बड़ी सौर बोली जीती –
अडानी समूह को सौर ऊर्जा शक्ति मिली क्योंकि उन्होंने 2020 में सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) द्वारा दुनिया की सबसे बड़ी सौर बोली जीती थी। संयंत्र की कीमत 6 बिलियन डॉलर थी। भविष्य में अडानी ग्रीन द्वारा 8000 मेगावाट की फोटोवोल्टिक बिजली संयंत्र परियोजना को हाथ में लिया जाएगा; अदाणी सोलर 2000 मेगावाट अतिरिक्त सोलर सेल और मॉड्यूल निर्माण क्षमता स्थापित करेगी।
वर्तमान में अदानी :
इस समय गौतम अडानी का कारोबार कई क्षेत्रों में फैला हुआ है। वह एक तरफ कोल माइनिंग के क्षेत्र में सबसे बड़े कॉन्टैक्ट माइनर बन गए हैं। पिछले तीन साल में देश के सात एयरपोर्ट्स का परिचालन उनके हाथ में आया है। उनका ग्रुप निजी क्षेत्र का देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट ऑपरेटर, पावर जेनरेटर और सिटी गैस रिटेलर है। उनके पास देश का सबसे एफिशिएंट कोल बेस्ड पावर प्लांट है। मुंद्रा बंदरगाह के जरिए पोर्ट सेक्टर में अपनी दमदार उपस्थिति तो दर्ज करा ही दी है। अब उनकी नजर सीमेंट का कारखाना लगाने से लेकर इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में रोड कंस्ट्रक्शन, डिफेंस प्रोडक्शन और रेलवे पर है।
अडानी की कंपनी ग्रीन एनर्जी पर बड़ा दांव चल रही है। इसके लिए अडानी की कंपनी ने 70 अरब डॉलर के भारी-भरकम निवेश का ऐलान किया है। इसके लिए अडानी न्यू इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Adani New Industries Ltd) नाम से नई कंपनी बनाई गई है। अडानी ग्रीन एनर्जी ने वर्ष 2025 तक अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता को लगभग आठ गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
गौतम अडानी का अपहरण
साल 1998 में गौतम अडानी को अगवा कर फिरौती के बदले में बंधक बना लिया गया था. बाद में बंधकों को पैसे देने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।
गौतम अडानी मुंबई अटैक
गौतम अडानी भी उन लोगों में से एक थे जो 2008 में मुंबई आतंकी हमले के दौरान फंस गए थे क्योंकि वह ताज होटल में ठहरे थे। बाद में उसे सकुशल बचा लिया गया।
गौतम अडानी से जुड़े विवाद (Gautam Adani Controvercy )
- गौतम अडानी पर 2014 के लोकसभा चुनाव के समय नरेंद्र मोदी का समर्थन करने का आरोप लगा था। उन पर पूरे भारत में रैलियों के लिए यात्रा करने के लिए अडानी समूह के चार्टर्ड विमान प्रदान करके मोदी को विशेष लाभ प्रदान करने का आरोप लगाया गया था। सीएनबीसी के साथ एक साक्षात्कार में आरोप को साफ करते हुए श्री अडानी ने कहा कि भाजपा ने अपनी विमानन सेवाओं का उपयोग करने के लिए कंपनियों के अपने समूह को बाजार मूल्य का भुगतान किया। .
- 1999 में अंडरवर्ल्ड डॉन अनीस इब्राहिम द्वारा उसका अपहरण रातों-रात सुर्खियों में आ गया था। उन्हें 3 करोड़ की फिरौती के लिए छोड़ा गया था। हालांकि अपहरण के कारणों और अन्य जानकारी की पुष्टि नहीं हो सकी है।
- 2002 में, दिल्ली पुलिस ने उन्हें एक प्रतिद्वंद्वी द्वारा जाली मामले में धोखाधड़ी के आरोप में हिरासत में लिया।
- 1990 के दशक के उत्तरार्ध में, कथित चालान-प्रक्रिया और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में उन पर जांच चल रही थी। उन पर बदमाश व्यापारी केतन पारेख के साथ संभावित मिलीभगत का भी आरोप लगाया गया था।
गौतम अडानी की कुल संपत्ति ( Gautam Adani Net Worth )
फोर्ब्स के अनुसार, 9 जून, 2021 तक गौतम अडानी परिवार की कुल संपत्ति लगभग 78.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 56,89,196,900.00 INR (5.68 अरब) होने का अनुमान है।
हालांकि, पिछले कुछ हफ्तों में, कंपनी को शेयरों में बड़ी गिरावट का सामना करना पड़ा और यहां तक कि कुल संपत्ति गिरकर 62.3 बिलियन डॉलर हो गई जो 46,27,48,82,50,000.00 INR (4.62 अरब) है।