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ब्रांडेड कंपनियाँ 80% डिस्काउंट पर भी कैसे कमाती है?

चलिये सबसे पहले ये समझने कि कोशिश करते है कि ये जो बड़ी बड़ी ब्रांडेड companies होती है वो off सीज़न मे जो flat 80% तक का discount दे देती है क्या वो वाकई नुकसान उठा कर हमे product बेचती है या इसके पीछे कोई और गणित है ? इसकी हकीकत जानकार आप definitely हैरान रह जाएँगे और इस विडियो के अंत तक आप अच्छी तरह से समझ जायंगे कि companies आखिर इतना heavy discount देने के बाद भी फायदे मे कैसे रहती है ? सबसे मज़े कि बात तो ये है जब भी कोई भारी  डिस्काउंट वाली सेल लगती है तो हम उसके ढेर सारे प्रॉडक्ट खरीद कर मन ही मन खुश होते है और ये  सोचते है कि हमने कंपनी को लूट लिया है क्योकि इस sale मे 10,000 कि MRP वाला product 3000 मे मिल रहा होता है और हमारी कोशिश ये रहती है कि हम ज्यादा से ज्यादा प्रॉडक्ट खरीद ले….फिर चाहे हमे उनकी ज़रूरत हो या नहीं,  लेकिन सच तो ये है दोस्तों कि हम कंपनी के बुने हुये जाल में फंसकर  ही ख़रीदारी कर रहे होते है | चलिये समझते है कि आखिर ये सारा खेल कैसे चल चलता है और इतने भारी डिस्काउंट के बाद भी companies कैसे कमा लेती है |

सबसे पहले ये समझ लीजिये कि बड़े ब्राण्ड्स अपने किसी एक प्रॉडक्ट पर अपना profit काउंट नहीं करते है बल्कि अपने टोटल investment पर प्रॉफ़िट calculate करते है | चलिये इस चीज़ को अच्छे से समझने के लिए हम एक उदाहरण लेते है- मान लीजिये कि किसी कंपनी ने 1 करोड़ रुपए कि पूंजी लगाकर ब्रांडेड 5,000 जीन्स बनवाई है तो इसका मतलब ये हुआ कि एक जीन्स कंपनी को 2000 रुपए कि पड़ती है | अब चूंकि कंपनी ने bulk में और बड़ी quantity मे जीन्स तैयार कारवाई है तो मार्केट के competition मे काफी कम लागत मे बढ़िया क्वालिटी कि जीन्स अब कंपनी के पास तैयार है | अब कंपनी अपने सभी showrooms और outlets पर “New arrival” सेक्शन में हर जीन्स पर 10,000 की MRP का टैग लगाकर उसे लटका देती है और उसकी अच्छी पब्लिसिटी करती है | अब जो लोग एलिट क्लास में आते है और इस कीमत को afford कर सकते है वो 10,000 की कीमत पर भी इस जीन्स को खरीद लेते है, लेकीन ऐसे लोगो की तादात बहुत कम होती है और ये बात कंपनी को भी बहुत अच्छे से पता होती है | अब मान लीजिये कि शुरू के 2 महीनों में New Arrival सेक्शन से 5000 में से सिर्फ 200 जीन्स ही बिक पायी है तो इस हिसाब से कंपनी के पास जो collection आया वो है –

200 जीन्स x 10,000 रुपए = 20 लाख रुपए

अब ज़रा देखिये, कंपनी ने इस प्रॉडक्ट पर टोटल investment कितना किया था ? 1 करोड़ रुपए जिसमे से 20 लाख रुपए तो कंपनी ने सिर्फ 2 महीने में ही collect कर लिए है और कंपनी के पास अब 4800 जीन्स स्टॉक में पड़ी हुयी है | दोस्तों, अब असली खेल यही से शुरू होता है क्योकि कंपनी को पता है कि अगर अब वह 70% कि सेल लगा दे तो उसकी बची हुयी सभी 4800 जीन्स बिक जाएगी | अब कंपनी किसी भी बड़े दिन या फेस्टिवल का wait करती है जैसे कि independence day, होली, दिवाली, क्रिसमस वगैरह और ज़्यादातर हर महीने मे एक ना एक इवैंट तो मिल ही जाता है |  अब जैसे ही कंपनी किसी खास मौके पर 70% कि सेल लगाती है तो सारे लोग इसे सुनहरा मौका मान कर इस सेल पर टूट पड़ते है | और हर किसी कि के दिमाग में यहा एक ही बात होती है कि 10,000 कि MRP वाली जीन्स अब सिर्फ 3000 मे मिल रही है और कहीं थोड़ी लापरवाही से अपने पसंद कि कलर और फिटिंग वाली जीन्स बिक ना जाए क्योकि कंपनी के ऑफर के साथ लिख रखा है- जल्दी कीजिये, ये ऑफर सिर्फ स्टॉक रहने तक ही available है | अब हर आदमी ये सोचकर अपनी ज़रूरत से भी ज्यादा जीन्स खरीद लेता है कि इतना सस्ता ऑफर मिल रहा है तो क्यों ना इसका फायदा उठाया जाय | और इस तरह कंपनी के स्टॉक में बची हुयी 4800 जीन्स भी 15 दिनों के अंदर बिक जाती है | अब देखते है इसकी calculation को कि कंपनी ने इसमे कुछ कमाया भी है या नहीं ?

कंपनी की total जींस बिकी है = 4800
                                एक जीन्स की कीमत = 3000 रुपए
तो total calculation होती है –       4800 x 3000 = 1,44,00,000 रुपए
और जो पहले 200 जीन्स बिकी थी उसका कलेक्शन = 20,00,000 रुपए
                          तो total कलेक्शन हो गया है = 1,64,00,000 रुपए

आपको याद होगा दोस्तों की कंपनी ने इस प्रोजेक्ट पर कुल पैसे लगाए थे 1 करोड़ रुपए और सिर्फ तीन महीनों में ही कंपनी ने 64,000 लाख रुपए का प्रॉफ़िट कमा लिया | लगा ना झटका ?
अब आपके दिमाग में ये प्रश्न आ रहा होगा कि ये तो सिर्फ income कि बात हुयी… खर्चों कि बात भी तो करिए जैसे शोरूम का किराया, स्टाफ कि तनख्वाये और transportation | मैं यहा बता देना चाहता हूँ इस प्रकार के खर्चों चिंता किसी भी बड़ी कंपनी को नहीं होती क्योंकि जो कंपनी 1 करोड़ रुपए का इनवेस्टमेंट करके जीन्स बनवा रही है उसके पास इसके अगेन्स्ट कम से कम 10 करोड़ कि रिजर्व मनी होती है जिसे वे किसी भी बैंक में डिपोसिट करवा कर सिर्फ उसके इंटरेस्ट से ही शोरूम रेंट, salaries, लाइट और दूसरे maintenance manage कर लेते है |

अब सवाल ये उठता है कि आखिर लोग इतने महंगे ब्रांडेड कपड़े खरीदने को क्यो तैयार हो जाते है ? इसके पीछे basically कंपनी के मार्केटिंग टीम का दिमाग होता है जो दिन रात सिर्फ ये सोचते है कि वो क्या है जो एक कस्टमर को मेरा प्रॉडक्ट खरीदने पर मजबूर कर देगा ? ऐसी टीम हर वक़्त अपने प्रोडक्टस के साथ ऐसी प्लानिंग  करती है कि लोग महंगा खरीदने के बाद भी अपने आप को फायदे में ही मानते है | पहले ये टीम अपने प्रॉडक्ट को किसी फेमस मॉडल या सेलेब्रिटी के साथ फोटो शूट करवाती है ताकि हर कस्टमर इनको फॉलो करता हुया इस प्रॉडक्ट के स्टैंडर्ड को फील करे और फिर उनके अपने ओफ़ेर्स से ललचाती है ताकि एक मिडिल क्लास आदमी भी ब्रांडेड कपड़े पहनने कि  कोशिश करे | और इस तरह से आप सेल का फायदा उठा कर ज्यादा से ज्यादा खरीदारी कर लेते है | और मज़े के बात ये है यहाँ आप भी खुश है और कंपनी भी खुश है |

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