टैली एक एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर होता है। इसमे बिजनेस ट्रांजेक्शन मैंटेन किए जाते है। पहले के समय में मेन्यूअल अकाउंटिंग की जाती थी लेकिन अब टेक्नोलोजी डेवलप होने के कारण अब ये काम कंप्यूटराइज्ड होने लग गया है और अब टैली सॉफ्टवेयर की मदद से अकाउंट सम्बन्धित सभी कार्य इस पर मेन्टेन कर सकते है।
एकाउंटिंग की बेसिक जानकारी के बिना आप एकाउंटिंग नहीं कर सकते। सॉफ्टवेयर पर काम करने के लिए आपको पहले एकाउंटिंग की बेसिक नॉलेज जरूरी हैं । इसकी जानकारी प्राप्त करने के बाद टेली सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है Tally.erp 9 सॉफ्टवेयर वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं । यह फास्ट बिज़नेस एकाउंटिंग इन्वेंट्री मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर है। यह पूरी तरह से इंटिग्रेटेड होता है तथा सीखने और उपयोग करने में भी आसान है। इसमे बिज़नेस के सभी ऑपरेशन जैसे – अकाउंटिंग , इनवेंटरी , पर्चेज एवं सेल्स किए जा सकते है। Tally.Erp 9 के नए वर्ज़न में रिमोट एक्सेस से कहीं भी काम कर सकते है।
कंपनी क्रिएशन
- सॉफ्टवेयर में सबसे पहले अपनी कंपनी क्रिएट करनी होगी | दायीं हाथ पर दिए हुए मेनू में जाए और Create Company को सेलेक्ट करें ।
- अब कंपनी का नाम डालें ।
- इसके बाद कंपनी की डिटेल एड्रेस , फोन नंबर , मेल आईडी आदि एंटर करे ।
- अब अपनी करेंसी चुनें ।
- अब अपना फिनांशियल ईयर डालें और बुक्स स्टार्ट करें |
लेजर्स क्रिएशन
कंपनी क्रिएशन के बाद अकाउंट्स लेजर्स बनाये जाते हैँ। अकाउंट लेजर्स अकाउंट ग्रुप्स के अंडर मे आते हैं। टैली में दो लेज़र पहले से बनी होती है cash और Profit & loss a/c इनके अतिरिक्त यूजर्स नए लेजर्स भी बना सकते है। लेजर एक तरह के अकाउंट होते है, जिनकी मदद से हम वाउचर एंट्रीज करते है|
लेजर बनाने के लिए Gateway of tally→ Account info →Single Ledger →Create पर जाना होता है।
Create पर क्लिक करने के बाद लेजर क्रिएशन विंडो ओपन होगी |
Name: इस फील्ड मे लेजर का नाम डाले।
Under: उस ग्रुप का चयन करे जिसके अंतर्गत यह लेजर अकाउंट आता है। एक लिस्ट ओपन होती हैं जिससे हम उपयुक्त ग्रुप का चयन कर सकेगे।
Cr/Dr: इसमे लेजर का बैलेंस डेबिट या क्रेडिट करे है।
वाउचर एंट्री
हम वाउचर के माध्यम से किसी ट्रांजेक्शन को रिकॉर्ड करते हैं। टैली में अकाउंट्स वाउचर एंट्री करने के लिए टैली के मेन मैन्यू पर Accounting Vouchers को सिलेक्ट करें। इसमे अलग अलग वाउचर आते हैं जिनका अलग अलग उपयोग हैं –
- रिसिप्ट वाउचर (Receipt Voucher) – जब भी बिज़नस में पैसा प्राप्त हो चाहे कैश हो या चेक तब एंट्री रिसिप्ट वाउचर में होगी।
- पेमेंट वाउचर (Payment Voucher) – जब किसी को पेमेंट करते हैं (चाहे वह कैश हो या चेक) तब एंट्री पेमेंट वाउचर में होगी |
- पर्चेज वाउचर (Purchase Voucher)- जब भी बिज़नस में माल खरीदा जायेगा तब एंट्री हमेशा परचेस वाउचर में होगी ।
- सेल्स वाउचर (Sales Voucher )– जब भी बिज़नस से माल बेचा जायेगा तब एंट्री हमेशा सेल्स वाउचर में होगी ।
- कोंट्रा वाउचर (Contra Voucher) – बैंक से कैश निकला और बैंक में कैश जमा कराने संबन्धित एंट्री इस वाउचर में होंगी
- स्टॉक जर्नल वाउचर (Stock Journal Voucher) – इस वाउचर में स्टॉक को एक गोदाम से दुसरे गोदाम में जब ट्रान्सफर किया जाता है तब इस वाउचर का उपयोग किया जाता है|
- फिजिकल स्टॉक (Physical Stock Voucher)– यदि हमारे गोदाम में स्टॉक की मात्रा और टैली में स्टॉक की मात्रा अलग अलग हो तब हम फिजिकल स्टॉक वाउचर का उपयोग करते है |
- जर्नल वाउचर ( Jounral Voucher) – दो एकाउंट्स के बीच अमाउंट को एडजस्ट करने के लिए Jounral वाउचर का उपयोग किया जाता है |
- रिजेक्शन इन ( Rejection In)- खराब स्टॉक को लेने की एंट्री रिजेक्शन इन में की जाती है ।
- रिजेक्शन आउट (Rejection Out)– खराब स्टॉक देने की एंट्री रिजेक्शन आउट में की जाती है |
- पर्चेज आर्डर (Purchase Order)- परचेस करने से पहले उस सामान का आर्डर देना होता है जिसे परचेस आर्डर कहा जाता है जिसकी एंट्री परचेस वाउचर में की जाती है ।
- सेल्स आर्डर (Sales Order ) – सेल्स करने से पहले सेल्स का आर्डर लिया जाता है जिसकी एंट्री सेल्स आर्डर वाउचर में की जाती है ।
- अटेंडेंस वाउचर ( Attendance Voucher) – स्टाफ में एम्प्लोयी कितने दिन छुट्टी पर थे कितने दिन सिक लीव ली और कितने घंटे ओवरटाइम किया इसकी एंट्री की जाती |
- पेरोल वाउचर (Payroll Voucher)- इस वाउचर में स्टाफ को कितनी सैलरी देनी है इसकी कैलकुलेशन की जाती है ।