दुनिया का प्रत्येक देश प्रति वर्ष जीडीपी डेटा जारी करता है । प्रत्येक देश की जीडीपी ग्रोथ डिफरेंट होती हैं । देश की जीडीपी रेट जितनी अधिक होगी , उसकी अर्थव्यवस्था उतनी ही मजबूत और विकसित होगी । इकोनोमिस्ट और इन्वेस्टर्स के लिए जीडीपी की जानकारी बहुत आवश्यक है क्योंकि
जीडीपी देश में प्रोडक्शन और डेवलपमेंट का रिप्रजन्टेशन करता है । इकोनोमिस्ट जीडीपी के माध्यम से देश की स्थिति क्या है और देश की अर्थव्यवस्था में क्या हो रहा है की जानकारी प्राप्त करते हैं और आने वाले समय में इन्वेस्टर्स को क्या करना है , यदि जीडीपी बढ़ रही हो तो वे पैसे लगाएंगे या नहीं से इन्वेस्टर्स अवगत हो जाते हैं । इसका प्रभाव आम जन पर भी पड़ता हैं क्योकि देश की अर्थव्यवस्था जितनी मजबूत होगी उतना ही जनजीवन भी खुशहाल होगा । हमे GDP की जानकारी होना चाहिए ताकि हम भी जिस देश के नागरिक हैं उसकी अर्थव्यवस्था से अवगत हो सके । आज की इस पोस्ट के माध्यम से में आपको GDP क्या हैं इसे केल्कुलेट कैसे किया जाता हैं आदि की विस्तृत जानकारी दूंगा , तो दोस्तों आइये जानते हैं जीडीपी के बारे में –
GDP क्या है ?
किसी भी देश में गुड्स एवं सर्विसेज के वार्षिक प्रोडक्शन की टोटल क्वान्टिटी सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी ( ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट ) कहलाती है ।
इसे वापस मज़दूरों या प्रोडक्शन के रिसोर्स के बीच उनके पारिश्रमिक के रूप में डिस्ट्रीब्यूट कर दिया जाता है । अतः जीडीपी जानने का आसान तरीका यह है की प्रोडक्शन के रिसोर्स का पारिश्रमिक जाना जाए, इसका टोटल GDP के बराबर होगा। इस मेथड को इनकम एप्रोच कहते है ।
GDP = लेबर / सेलेरी + टैक्स + नेट इन्टरेस्ट + कंपनियों का प्रोफिट + इन डायरेक्ट टेक्स + डेप्रिसेशन ।
डेप्रिसेशन : किसी भी कारण से वस्तु के मूल्य में स्थाई कमी होना डेप्रिसेशन कहलाता है ।
नेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट ( NDP ) – जीडीपी में से इन डायरेक्ट टेक्स और डेप्रिसेशन को घटाने से NDP की वेल्यू आ जाती है ।
एनडीपी = जीडीपी – डायरेक्ट टेक्स – डेप्रिसेशन
जीडीपी को समझने के लिए हमें दो एलिमेंट्स को भी समझना होगा –
1. ग्रोस नेशनल प्रोडक्ट (GNP ) – किसी देश में गुड्स एवं सर्विसेज का जितना वार्षिक प्रोडक्शन होता है उसकी मोनेटरी वेल्यू को ग्रोस नेशनल प्रोडक्ट ग्रोस नेशनल प्रोडक्ट या जीएनपी कहते है।
2. नेट नेशनल प्रोडक्ट (एनएनपी ) – जीएनपी में से ख़र्चों को घटाने से एनएनपी वेल्यू आ जाती है ।
एनएनपी = जीएनपी – डेप्रिसेशन
जीडीपी का मोर्डन कन्सेप्ट ‘साइमन कुज़नेट्स’ द्वारा 1934 में अमेरिकी कांग्रेस के लिए डिजाइन किया गया था । 1944 में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में जीडीपी को इन्ट्रोड्यूज किया गया तब से जीडीपी देश की इकोनोमी केल्कुलेट करने का प्रमुख रिसोर्स बन गया जो आज भी उपयोग किया जाता है ।
जीडीपी कैसे केल्कुलेट की जाती है ?
जीडीपी केल्कुलेशन के तीन तरीके है –
- एक्स्पेंडीचर एप्रोच – इकोनोमिक स्ट्रक्चर में भाग लेने वाले सभी ग्रुप द्वारा किये गए एक्स्पेंस की केल्कुलेशन करना ।
जीडीपी = कन्जप्शन + ग्रोस इनवेस्टमेंट + सरकारी खर्च + (निर्यात – आयात)
2. इनकम एप्रोच – इसे वापस मज़दूरों या प्रोडक्शन के रिसोर्स के बीच उनके पारिश्रमिक के रूप में डिस्ट्रीब्यूट कर दिया जाता है । अतः जीडीपी जानने का आसान तरीका यह है की प्रोडक्शन के रिसोर्स का पारिश्रमिक जाना जाए, इसका टोटल GDP के बराबर होगा। इस मेथड को इनकम एप्रोच कहते है ।
GDP = लेबर / सेलेरी + टैक्स + नेट इन्टरेस्ट + कंपनियों का प्रोफिट + इन डायरेक्ट टेक्स + डेप्रिसेशन ।
3. वेल्यू एडिशन एप्रोच –
प्रोड्यूस्ड प्रोडक्ट की रेट जोड़ कर इसे निकाला जाता हैं । इसमें अंतिम उत्पाद ( कस्टमर द्वारा खरीदा जाने वाला प्रोडक्ट ) केल्कुलेट किया जाता है ।
इंडिया में जीडीपी का कैलकुलेशन –
गवर्नमेंट सबसे पहले इन 8 सेक्टर्स से इन्फोर्मेशन कलेक्ट करती हैं फिर उसका कम्पेरिजन प्रिवियस या बेस ईयर से करती है । जिससे जीडीपी केल्कुलेट होता है । भारत सरकार त्रैमासिक या वार्षिक जीडीपी का पूरा आँकड़ा रिलीज करती है । a
उपरोक्त डाटा से ज्ञात होता है कि इस वर्ष का GDP ग्रोथ 5.75 % है।